सत्ता के समकालीन केंद्र (Contemporary centers of power)Class 12 Notes Notes : Class 12 Political science
सत्ता के समकालीन केंद्र (Contemporary centers of power) Class 12 Political science Chapter 2 Notes in Hindi | |
Test Book | NCERT |
Board | RAJASTHAN CBSE MP HARYANA BOARD |
Class | 12 |
Subject | Political Science |
Chapter Name | सत्ता के समकालीन केंद्र (Contemporary centers of power) |
Notes | Printed PDF |
Medium | Hindi |
स्रोत | NCERT , Support Material 2024-25 Education Department Government of NCT of Delhi |
सत्ता के समकालीन केन्द्र का अर्थः
शीत युद्ध के पश्चात विश्व में विश्व पटल पर कुछ ऐसे संगठनों तथा देशों ने प्रभावशाली रूप से अंतराष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना प्रारम्भ किया, जिससे यह स्पष्ट होने लगा कि यह संगठन तथा देश अमेरिका की एक ध्रुवीयता के समक्ष विकल्प के रूप में देखे जा सकते हैं। विश्व राजनीति में दो ध्रुवीय व्यवस्था के टूटने के बाद स्पष्ट हो गया कि राजनैतिक और आर्थिक सत्ता के समकालीन केंद्र कुछ हद तक अमेरिका के प्रभुत्व को सीमित करेंगे।
यूरोपीय संघ
- अमरीका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए बहुत मदद की थी इसे मार्शल योजना के नाम से जानते है।
- 1948 में मार्शल योजना के तहत यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई। जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद की गई।
- 1949 में गठित यूरोपीय परिषद राजनैतिक सहयोग के मामले में अगला कदम साबित हुई।
- 1957 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय का गठन किया।
- 7 फरवरी 1992 में मास्ट्रिस्ट संधि के द्वारा यूरोपीय संघ का गठन हुआ।
- वर्तमान में सदस्य देशों की संख्या 27 है। क्रोएशिया यूरोपीय संघ का 28वां सदस्य बना।
यूरोपीय संघ के सदस्य देश
यूरोपीय संघ के पुराने सदस्य :
- ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्वीडन, स्पेन ।
- ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से जून 2016 में एक जनमत संग्रह के द्वारा अलग होने का निर्णय किया जिसे ‘ब्रेक्जिट’ (Brexit ) कहा जाता है अब यह यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है। जनवरी 2020 में यह यूरोपीय संघ से अलग हो गया। यह पुराने सदस्यों में से एक सदस्य देश था।’
यूरोपीय संघ के नए सदस्य :
- एस्तोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड, चेक गणराज्य, रोमानिया, स्लोवाकिया, हंगरी, क्रोशिया, बुल्गारिया, साइप्रस, स्लोवेनिया।
- यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की वर्तमान में संख्या 27 है। क्रोएशिया यूरोपीय संघ का 28वां सदस्य बना।
यूरोपीय संघ के गठन के उद्देश्य :-
- एक समान विदेश नीति व सुरक्षा नीति।
- आंतरिक मामलों तथा न्याय से जुड़े मामलों पर सहयोग।
- एक समान मुद्रा का चलन।
- वीजा मुक्त आवागमन।
यूरोपीय संघ की विशेषताएँ :-
- यूरोपीय संघ ने आर्थिक सहयोग वाली संस्था से बदलकर राजनैतिक संस्था का रूप ले लिया है।
- यूरोपीय संघ एक विशाल राष्ट्र-राज्य की तरह कार्य करने लगा है।
- इसका अपना झंडा, गान, स्थापना दिवस और अपनी एक मुद्रा है।
- अन्य देशों से संबंधों के मामले में इसने काफी हद तक साझी विदेश और सुरक्षा नीति बना ली है।
- यूरोपीय संघ का झंडा 12 सोने के सितारों के घेरे के रूप में वहाँ के लोगों की पूर्णता, समग्रता, एकता और मेलमिलाप का प्रतीक है।
- 2003 में यूरोपीय संघ ने साझा संविधान बनाने की कोशिश की जो नाकामयाब रही।
यूरोपीय संघ को ताकतवर बनाने वाले कारक या विशेषताएँ :-
यूरोपीय संघ के आर्थिक प्रभाव:
- 2016 में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और इसका सकल घरेलूउत्पादन 17000 अरब डालर से ज्यादा था जो अमरीका के ही लगभग है।
- इसकी मुद्रा यूरो, अमरीकी डॉलर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन गई है। विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमेरिका से तीन गुना ज्यादा है।
- इसकी आर्थिक शक्ति का प्रभाव यूरोप, एशिया और अफ्रीका के देशों पर है। यह विश्व व्यापार संगठन के अंदर एक महत्वपूर्ण समूह के रूप में कार्य करता है।
यूरोपीय संघ के राजनैतिक प्रभाव :-
- इसका एक सदस्य देश फ्रांस सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है।
- यूरोपीय संघ के कई और देश सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य हैं।
यूरोपीय संघ के सैन्य प्रभाव :-
- यूरोपीय संघ के पास दुनिया की सबसे बड़ी दूसरी सेना है।
- इसका कुल रक्षा बजट अमरीका के बाद सबसे अधिक है।
- यूरोपीय संघ के सदस्य देश फ्रांस के पास परमाणु हथियार हैं।
- अंतरिक्ष विज्ञान और संचार प्रोद्यौगिकी के मामले भी यूरोपीय संघ का दुनिया में दूसरा स्थान है।
यूरोपीय संघ की कमजोरियाँ या सीमाएँ :-
- इसके सदस्य देशों की अपनी विदेश नीति और रक्षा नीति है जो कई बार एक-दूसरे के खिलाफ भी होती हैं। जैसे-इराक पर हमले के मामले में।
- यूरोप के कुछ हिस्सों में यूरो मुद्रा को लागू करने को लेकर नाराजगी है।
- डेनमार्क और स्वीडन ने मास्ट्रिच संधि और साझी यूरोपीय मुद्रा यूरो को मानने का विरोध किया।
- यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश अमरीकी गठबंधन में थे।
- ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ने ब्रिटेन को यूरोपीय बाजार से अलग रखा।
- ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से जून 2016 मे एक जनमत संग्रह के द्वारा अलग होने का निर्णय किया। जिसे ब्रेक्जिट कहा जाता है। ब्रिटेन अब यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है।
दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) –
आसियान(ASEAN) का पुरा नाम:- दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (Association of Southeast Asian Nations)
आसियान की स्थापना कब हुई ?- स्थापना 8 अगस्त, 1967
आसियान(ASEAN) के संस्थापक सदस्य देश
- इंडोनेशिया
- मलेशिया
- फिलीपींस
- सिंगापुर
- थाईलैंड
आसियान(ASEAN) के नए सदस्य देश
- ब्रूनेई दारुस्सलाम
- वियतनाम
- लाओस
- म्यांमार
- कंबोडिया
आसियान(ASEAN) से आशय :–
अगस्त 1967 में इस क्षेत्र के पाँच देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर ओर थाईलैंड ने बैंकांक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके ‘आसियान’ की स्थापना की। इन पाँच देशों को आसियान का संस्थापक देश कहा जाता है। बाद में ब्रुनई दारूस्लाम, वियतनाम, लाओस, म्यांमार ओर कंबोडिया को शामिल किया गया और इनकी सदस्या संख्या 10 हो गई है।
आसियान की स्थापना के मुख्य उद्देश्य :-
- सदस्य देशों के आर्थिक विकास को तेज करना।
- इसके द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक विकास हासिल करना।
- कानून के शासन और संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों का पालन करके क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना।
आसियान शैली :-
अनौपचारिक, टकरावरहित और सहयोगात्मक मेल-मिलाप का नया उदाहरण पेश करके आसियान ने काफी यश कमाया है। इसे ही ‘आसियान शैली’ कहा जाने लगा।
आसियान समुदाय के प्रमुख स्तंभ
- आसियान सुरक्षा समुदाय
- आसियान आर्थिक समुदाय
- सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय
- आसियान सुरक्षा समुदाय क्षेत्रीय विवादों को सैनिक टकराव तक न ले जाने की सहमति पर आधारित है।
- आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य आसियान देशों का साझा बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद करना है।
- आसियान सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय का उद्देश्य है कि आसियान देशों के बीच टकराव की जगह बातचीत और सहयोग को बढ़ावा दिया जाए।
आसियान(ASEAN) क्षेत्रीय मंच :-
- 1994 में आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना की गई। जिसका उद्देश्य सदस्य देशों की सुरक्षा और विदेश नीतियों में तालमेल बनाना है।
आसियान की उपयोगिता या प्रासंगिकता :-
- आसियान की मौजूदा आर्थिक शक्ति खासतौर से भारत और चीन जैसे तेजी से विकसित होने वाले एशियाई देशों के साथ व्यापार और निवेश के मामले में प्रदर्शित होती है।
- आसियान ने निवेश, श्रम और सेवाओं के मामले में मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने पर भी ध्यान दिया है।
- अमरीका तथा चीन ने भी मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने में रूचि दिखाई है।
- 1991 के बाद भारत ने ‘पूरब की ओर देखो’ की नीति अपनाई है और 2014 से “ACT East” की नीति अपनाई। जिसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है।
- भारत ने आसियान के सदस्य देशों सिंगापुर, थाईलैंड और मलेशिया के साथ मुक्त व्यापार का समझौता किया है।
- 2009 में भारत ने आसियान के साथ ‘मुक्त व्यापार समझौता किया। जो 1 जनवरी 2010 से लागू हुआ।
- आसियान की असली ताकत अपने सदस्य देशों, सहभागी सदस्यों और बाकी
- गैर-क्षेत्रीय संगठनों के बीच निरंतर संवाद और परामर्श करने की नीति में है।
- यह एशिया का एकमात्र ऐसा संगठन है जो एशियाई देशों और विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए मंच उपलब्ध कराता है।आसियान ने कंबोडिया के टकराव को समाप्त किया।
- आसियान ने पूर्वी तिमोर के संकट को संभाला।
चीन :-
1949 में माओ के नेतृत्व में साम्यवादी क्रांति के बाद चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना हुई। शुरूआत में यहाँ अर्थव्यवस्था सोवियत प्रणाली पर आधारित थी।
माओ के नेतृत्व में चीन का विकास :-
- चीन ने विकास का जो मॉडल अपनाया उसमें खेती से पूँजी निकालकर सरकारी नियंत्रण में बड़े उद्योग खड़े करने पर जोर था।
- चीन ने समाजवादी मॉडल खड़ा करने के लिए विशाल औद्योगिक अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपने सारे संसाधनों को उद्योग में लगा दिया।
- चीन अपने नागरिको को रोजगार, स्वास्थ्य सुविधा और सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ देने के मामले में विकसित देशों से भी आगे निकल गया लेकिन बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधा उत्पन्न कर रही थी।
- कृषि परम्परागत तरीकों पर आधारित होने के कारण वहाँ के उद्योगों की जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही थी।
चीनी अर्थव्यवस्या का उत्थान :-
चीन में सुधारों की पहल :-
- चीन ने 1972 में अमरीका से संबंध बनाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकांतवास को खत्म किया।
- 1973 में प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने कृषि, उद्योग, सेवा और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे।
- 1978 में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और ‘खुले द्वार की नीति’ का घोषणा की।
- 1982 में खेती का निजीकरण किया गया।
- 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया गया। इसके साथ ही चीन में विशेष
- आर्थिक क्षेत्र (स्पेशल इकॉनामिक जोन-SEZ) स्थापित किए गए।
- चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया। इस तरह दूसरे देशों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था खोलने की दिशा में चीन ने एक कदम और बढ़ाया
- हैं।
- चीन के पास अब विदेशी मुद्रा का विशाल भंडार है।
चीनी सुधारों का नकारात्मक पहलू :-
- वहाँ आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी सदस्यों को प्राप्त नहीं हुआ।
- चीन में बेरोजगारी बढ़ी है और 10 करोड़ लोग रोजगार की तलाश में हैं।
- वहाँ महिलाओं के रोजगार और काम करने के हालात संतोषजनक नहीं है।
- गाँव व शहर के और तटीय व मुख्य भूमि पर रहने वाले लोगों के बीच आय में अंतर बढ़ा है।
- विकास की गतिविधियों ने पर्यावरण को काफी हानि पहुँचाई है।
- चीन में प्रशासनिक और सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार बढ़ा है।
चीन: विश्व की नई उभरती शक्ति के रूप में :
- क्षेत्रफल के हिसाब से विशाल आकार
- 2001 में विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना
- विश्व की यह एक बड़ी अर्थव्यवस्था है
- जापान, अमरीका, आसियान और रूस- सभी व्यापार के आगे चीन से बाकी विवादों को भुला चुके हैं।
- 1997 के वित्तीय संकट के बाद आसियान देशों की अर्थव्यवस्था को टिकाए रखने में चीन के आर्थिक उभार ने काफी मदद की है।
- चीन परमाणु शक्ति संपन्न देश है।
- चीन सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य भी हैं।
- चीन द्वारा लातिनी अमेरिका और अफ्रीका में निवेश तथा सहायता की इसकी नीतियां दर्शाती है कि चीन विश्व में एक नई शक्ति के रूप में उभर रहा है।
चीन के साथ भारत के संबध:
विवाद के क्षेत्र:
- 1950 में चीन द्वारा तिब्बत को हड़पने तथा भारत चीन सीमा पर चीन द्वारा बस्तियाँ बनाने से दोनों देशों के संबंध एकदम बिगड़ गए।
- अरूणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों और लद्दाख के अक्साई चिन क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धी दावे के चलते 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ।
- 1962 के युद्ध में भारत की सैनिक पराजय हुई और भारत चीन संबंधों पर इसका दीर्घकालीक असर हुआ।
- 1976 तक दोनों देशों के कूटनीतिक संबंध समाप्त ही रहे।
- दोनों देशों के बीच हाल के समय हुए सीमा-विवाद से भी संबंधों में गिरावट आई है।
- पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम में चीन मददगार है।
- बांग्लादेश, म्यांमार से चीन के सैनिक संबंधों को दक्षिण एशिया में भारत के हितों के खिलाफ माना जाता है।
- संयुक्त राष्ट्रसंघ भारत के आतंकवादी प्रस्ताव के विरुद्ध चीन वीटो शक्ति का प्रयोग कर पाकिस्तान मे समर्थन देता है।
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, चीन और भारत के संबंधों में गिरावट लाता है।
भारत चीन के साथ सहयोग के क्षेत्र :-
- 1970 के दशक के उत्तर्राद्ध् में चीन के राजनैतिक नेतृत्व बदलने से चीन की नीति में अब परिवर्तन हुआ। चीन ने वैचारिक मुद्दों के स्थान पर व्यवहारिक
- मुद्दे प्रमुख किए इसलिए चीन भारत के साथ विवादास्पद मामलों को छोड़ संबंध सुधारने को तैयार हो गया।
- दोनों देशों के संबंधों का राजनीतिक ही नहीं आर्थिक पहलू भी है।
- दोनों देश एशिया की राजनीति में और अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिकानिभाना चाहते हैं।
- दिसम्बर 1988 में राजीव गांधी द्वारा चीन का दौरा कर संबंधों को सुधारने का प्रयास किया।
- दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विज्ञान तकनीक के क्षेत्र में परस्पर सहयोग और व्यापार के लिए सीमा पर पोस्ट खोलने के समझौते किए।
- 1999 से भारत-चीन व्यापार लगभग 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है।
- 1992 में भारत-चीन के बीच 33 करोड़ 80 लाख डालर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ।
- 2017 में बढ़कर यह 84 अरब डालर का हो गया।
- विदेश में ऊर्जा सौदा हासिल करने के मामले में भी दोनों देश सहयोग के लिए तैयार है।
- परिवहन और संचार मार्गों की बढ़ोतरी, समान आर्थिक हित के कारण संबंध सकारात्मक हो रहे है।
- चीन और भारत के नेता और अधिकारी अब अक्सर दिल्ली और बीजिंग का दौरा करते हैं।
जापान :-
- एशिया महाद्वीप के पूर्व में स्थित एक द्वीपीय देश
- परमाणु बम की विभीषिका झेलने वाला एकमात्र देश
- जापान के संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने में बल प्रयोग का हमेशा के लिए त्याग
- जापान सत्ता के समकालीन (उमरते) केंद्र के रूप में
- जापान के पास प्राकृतिक संसाधन कम है और कच्चे माल का आयात करता है,
- इसके बावजूद उच्च प्रौद्योगिकी के उत्पाद बनाने में प्रसिद्ध है सोनी, पैनासोनिक होंडा, सुजुकी प्रसिद्ध जापानी ब्रांड है।
- 1964 में जापान OECD का सदस्य बना।
- जापान की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
- एशिया के देशों में अकेला जापान ही समूह 7 का सदस्य है।
- आबादी के लिहाज से जापान का विश्व में 11वां स्थान है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में अंशदान करने के लिहाज से जापान दूसरा सबसे बड़ा देश है।
- सैन्य व्यय के लिहाज से विश्व में जापान का सातवां स्थान है।
- 1951 से जापान का अमरीका के साथ सुरक्षा गठबंधन है।
दक्षिण कोरिया :-
- कोरियाई प्रायद्वीप को द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में दक्षिण कोरिया (रिपब्लिक ऑफ कोरिया) तथा उत्तरी कोरिया (डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोरिया) मेंविभाजित किया गया था।
- यह एशिया महाद्वीप में स्थित है।
- रिपब्लिक ऑफ कोरिया (दक्षिण कोरिया) की राजधानी सियोल है, जहां से हान नदी होकर गुजरती है।
दक्षिण कोरिया सत्ता के समकालीन (उभरते) केंद्र के रूप में :-
- 1960 के दशक से 1980 के दशक के बीच दक्षिण कोरिया का आर्थिक शक्ति के रूप में तेजी से विकास हुआ जिसे “हान नदी पर चमत्कार” कहा जाता है।
- 1996 में दक्षिण कोरिया OECD का सदस्य बना।
- 2017 में दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
- सैन्य व्यय के लिहाज से विश्व में दक्षिण कोरिया का दसवां स्थान है। मानव विकास रिपोर्ट 2016 के अनुसार विश्व में दक्षिण कोरिया का HDI रैंक 18वां है।
- दक्षिण कोरिया के उच्चमानव विकास के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों में सफलभूमि सुधार, ग्रामीण विकास, व्यापक मानव संसाधन विकास, तीव्र न्यायसंगत आर्थिक वृद्धि शामिल हैं।
- दक्षिण कोरिया उच्च प्रौद्योगिकी के लिए प्रसिद्ध है। सैमसंग, एलजी, हुंडई भारत में प्रसिद्ध दक्षिण कोरियाई ब्रांड है।